कुछ खुशियाँ कुछ उम्मीदें कुछ ख्वाब दूंगा.
जिंदगी को अपनी मैं एक नया रुआब दूंगा.
न तुम मुझे पहचान पाओगे न मैं खुद,
अब मैं खुद को ऐसा नकाब दूंगा.
सियासतदार से जो मैंने माँगा सुकून,
वो बोला मैं बस ज़हर दूंगा तेजाब दूंगा.
न पूछो कोई सवाल जानता हूँ सारे,
जब होगा जवाब तो मैं जवाब दूंगा.
मांग लिया है दुनिया से वक़्त इतना,
अब मैं किस किस को हिसाब दूंगा.
अब न घुटने छिलेंगे न आँखें नम होंगी,
मैं उस बच्ची के हाथों में किताब दूंगा.
-विनायक
मैं वही कहूँगा जो फेसबुक पर कहा था- सराहनीय प्रयास...!
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